Thursday, November 21, 2019

Hegemony theory (वर्चस्व का सिद्धांत)

Hegemony

जब किसी समूह का अन्य समूहों के उपर राजनीतिक, आर्थिक, वैचारिक या सामाजिक दबदबा मौजूद हो तो इसे प्राधान्य या वर्चस्व (Hegemony) कहते हैं। 'हेजीमोनी' शब्द का मूल अर्थ ग्रीस के कुछ नगर-राष्ट्रों का दूसरे पड़ोसी नगरों पर राजनीतिक दबदबा था, किन्तु अब इसका अनेकानेक सन्दर्भों में प्रयोग किया जाने लगा है। अन्तोनियो ग्राम्शी जैसे कुछ मार्क्सवादी सिद्धान्तकारों ने सांस्कृतिक बर्चस्व की बात की है।

Hegemony theory

हेगेमनी सिद्धांत के अनुसार किसी भी समाज, समुदाय, धर्म या किसी समूह में जिसकी भागीदारी अधिक होगी या शक्तिशाली रूप से मौजूद होगी, उस समाज, समुदाय, समूह आदि में उसी की बातों, मान्यताओं और संस्कृतियों का बोलबाला रहता है। यह एक सामाज आधारित सिद्धांत है, जिसका प्रतिपादन एंटोनियो ग्राम्सकी ने दिया। ग्राम्सकी इटली के महान दार्शनिक और कम्यूनिस्ट राजनेता थे। ग्राम्स्की सांस्कृतिक विरासत के अपने सिद्धांत के लिए सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है, जो बताता है कि कैसे राज्य और सत्ताधारी पूंजीवादी वर्ग - बुर्जुआ - पूंजीवादी समाजों में सत्ता बनाए रखने के लिए सांस्कृतिक संस्थानों का उपयोग करते हैं। ग्राम्स्की के विचार में बुर्जुआ, हिंसा, आर्थिक बल या जबरदस्ती के बजाय विचारधारा का उपयोग करके एक हेगोनिक संस्कृति विकसित करता है। हेगोनिक संस्कृति अपने मूल्यों और मानदंडों का प्रचार करती है ताकि वे सभी के सामान्य ज्ञान मूल्य बन जाएं और इस प्रकार स्थिति को बनाए रखें। इसलिए हेगमनिक शक्ति का उपयोग आदेश बनाए रखने के लिए मजबूर शक्ति का उपयोग करके पूंजीवादी आदेश को सहमति बनाए रखने के लिए किया जाता है। इस सांस्कृतिक विरासत का निर्माण उन संस्थानों के माध्यम से प्रमुख वर्ग द्वारा किया जाता है जो पुनर्वितरण का निर्माण करते हैं।

No comments:

Post a Comment