विकसित देशों की प्रमुख विशेषताएँ
विकसित राष्ट्रों की प्रमुख विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं-
उन्नत विज्ञान तथा तकनीकी द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग
प्राकृतिक संसाधन किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास की आधारशिला होते हैं। पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन राष्ट्र के आर्थिक विकास की कुंजी हैं। विकसित देश उन्नत विज्ञान तथा तकनीकी द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं। जापान तथा इंग्लैण्ड ने बड़ी मात्रा में कच्चे माल का आयात करके मात्र विज्ञान एवं उन्नत तकनीकी का समुचित उपयोग करके तीव्रता से विकास किया है।वृहत् स्तर पर औद्योगीकरण
सभी विकसित राष्ट्रों ने आर्थिक स्तर को प्राप्त करने की दृष्टि से बड़े पैमाने के उद्योगों की स्थापना विशाल स्तर पर कर ली है। ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी आदि देशों ने औद्योगीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया है। इन देशों में लोहा-इस्पात उद्योग, रसायन उद्योग, इन्जीनियरिंग उद्योग, मोटरगाड़ी निर्माण उद्योग, पोत व वायुयान निर्माण उद्योग आदि का तीव्र गति से विकास हुआ है।कृषि का यन्त्रीकरण
विकसित देशों ने उद्योगों के लिए कृषि से कच्चे माल प्राप्त करने हेतु कृषि में मशीनों का प्रयोग प्रारम्भ कर दिया है। बड़े पैमाने पर मशीनों से कृषि की जाती है। कृषि के यन्त्रीकरण ने विकसित देशों की प्रगति के द्वार खोल दिये हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, हॉलैण्ड आदि विकसित देशों में कृषि का यन्त्रीकरण हो चुका है। इन देशों में बड़े-बड़े फार्मों में मशीनों की सहायता से विस्तृत, सघन खेती की जाती है तथा बड़े स्तर पर व्यापारिक कृषि की जाती है तथा कृषि उत्पादन के पर्याप्त भाग का निर्यात कर दिया जाता है।व्यापारिक आधार पर उद्यानों का विकास
विकसित देशों में बड़े-बड़े महानगरीय क्षेत्रों में निवास करने वाली जनसंख्या के लिए फल एवं सब्जियों के उत्पादन हेतु व्यापारिक स्तर पर उद्यानों का विकास किया गया है। इस प्रकार की कृषि को 'बाजार के लिए बागवानी' या 'फलों की खेती' कहते हैं। अमेरिका एवं यूरोप के बड़े-बड़े नगरों के चारों ओर ऐसे ही उद्यान स्थित हैं।उन्नत स्तर पर पशुपालन तथा दुग्ध-व्यवसाय का विकास
शीतोष्ण जलवायु, उत्तम चरागाह तथा उत्तम नस्ल के पशुओं के कारण विकसित देशों में पशुपालन तथा दुग्ध-व्यवसाय बहुत प्रगति कर गया है। पशुओं से दूध, मांस, चमड़ा,ऊन आदि पदार्थ प्राप्त होते हैं; अत: डेनमार्क, हॉलैण्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका, न्यूजीलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिण अमेरिका के कई देशों में पशुपालन का खूब विकास हुआ है। दूध से मक्खन, पनीर, दुग्ध-चूर्ण आदि वस्तुएँ तैयार की जाती हैं। कई देश इनका बड़ी मात्रा में निर्यात करते हैं।अत्यधिक विकसित यातायात एवं संचार-व्यवस्था
विकसित देशों में यातायात एवं संचार-व्यवस्था का विकास उच्च स्तर पर कर लिया गया है। इन देशों में सड़क तथा वृहत् रेल-पथों का जाल बिछा है। इन देशों में रेल तथा वायु परिवहन का भी विकास कर लिया गया है। जल परिवहन नदियों, झीलों तथा नहरों द्वारा सम्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त, इन देशों में स्वचालित मोटरगाड़ियों, विद्युत रेलगाड़ियों, पनडुब्बियों, आधुनिक जलयानों तथा तीव्रगामी हवाई जहाजों ने भी इन देशों को एक-दूसरे के निकट ला दिया है। इन देशों में संचार साधनों का भी अत्यधिक विकास हुआ है।अधिक प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय
विकसित राष्ट्रों में कृषि, उद्योग और व्यापार में वृद्धि होने के कारण प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय अधिक होती है, जो कि इनकी सम्पन्नता के मापदण्ड हैं। इससे इन देशों के निवासियों का जीवन-स्तर ऊँचा होता है।नारी की स्थिति
विकसित देशों में स्त्रियाँ शिक्षित हैं , रोजगार में संलग्न हैं तथा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। विकसित देशों में नारी का स्थान पुरुषों के बराबर समझा जाता है। इन देशों में नारी साक्षरता का प्रतिशत ऊँचा है। अधिकांश स्त्रियाँ स्वस्थ हैं तथा राष्ट्र के निर्माण व अभ्युन्नति में सक्रिय योगदान देती हैं।अन्य विशेषताएँ
वृहत् स्तर पर औद्योगीकरण के कारण विकसित देशों में नगरों तथा नगरीय जनसंख्या की अधिकता पायी जाती है।विकसित देशों में उच्च साक्षरता पायी जाती है।
जनसंख्या में नियन्त्रित वृद्धि होती है।
विभिन्न आर्थिक क्रियाओं में आधुनिक तकनीकी ज्ञान तथा वैज्ञानिक विधि का प्रयोग किया जाता है।
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